Self invalidation : 3 वैज्ञानिक चरणों से तोड़ें Self-Invalidation का चक्र (आत्म-विश्वास वापस पाएँ!)

By Rao Anwar

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Self invalidation How is it to disqualify yourself And how to avoid it! Learn in 3 Steps!

ख़ुदको invalid कह देना! या invalidation समझना इसके sign समझना कोई मुश्किल बात नही! समझाता हूँ कैसे:- अपनी गलतियों को मानना अलग है, जो आप सोचते हैं! वह गलत हो सकता है इसमें कोई शक की गुंजाइश नही है!

और कोई अगर अपनी किसी बात को कहे, कि यह बात थी जो इस तरह थी, और मैं कुछ और समझ रहा था। यह सब बातें अलग हैं। उस बात से कि हम ख़ुदको अयोग्य ही क़रार दे दें। मतलब कोई कैसे ख़ुदको invalid ठहरा सकता है!

1. मैं अपनी भावनाओं कि कद्र क्यूँ नही करता?

Why don't I respect my feelings

खुदको invalidation या किसी लायक़ न समझना! किसी के अंदर भी इस तरह के अहसासात उमड़ सकते हैं! एक तरफ़ जहाँ इंसान खुदके वजूद के लिए लड़ जाता है! अपनी कही हुई बहुत कम बातें ही होती हैं जिनको हम गलत ठहराते हैं!

वैसे यह कोई बड़ी बात नही हर इंसान लगभग वैसा ही react करता है! हम अपनी कुछ बातों को अगर गलत कह भी रहे हैं, तो यह नोरमल है! जो कि गलत हैं भी! तो यह एक आम बात है!

पर कभी-कभी हमारे सामने ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं! कि हम खुदके पीछे पड़ जाते हैं! इसकी कईं वजह हो सकती हैं! पर मैं आपको वह main वजह बताऊँगा जिसकी वजह से हम खुदके वजूद को नकारने लगते हैं!

यह ऐसा ही है जैसे आप मौजूद ही न हों! मैं आपको असल बात बताता हूँ सबसे पहले खुदको इत्मिनान दें यह सुनकर कि दुनियां में आप अकेले नही हैं जो इस चीज़ से गुज़र रहे हैं! न जाने कितने लोगों को इसका सामना होता है! किसी को बड़े लेवल पर और कोई छोटे लेवल पर! खुदको कोसना यह एक नार्मल बात है!

इसकी मशहूर और अहम 2 वजह हैं!

  1. लोग आप पर सवाल उठाते हैं :- जब हमें कोई चाही गयी चीज़ नही मिलती, या उसमें टाइम लग रहा होता है! या हमें कोई डांटता या तनक़ीद करता है जैसे बड़ा भाई, बाप, बहन, माँ! आपके दोस्त! अहबाब वगेरह. इस बात पर कि हमसे फलां काम न हुआ! या यह कि हम बहुत पीछे हैं, जिंदगी में कोई कामयाबी हासिल नही की!
  2. अपने आप पर ही सवाल उठाना :- यहाँ भी यह बात हो सकती है, कि कसी के कहने से हम खुदको कमतर आंक रहे हैं! पर यह ज़रूरी नही है! कभी-कभी हम खुदपर गौर करते हैं, और अपने बर्बाद हुए समय पर नज़र करते हैं! और झुंझलाकर कह देते हैं कि “मैं अमान्य हूँ!, मेरी कोई हसियत नही”

2. Self invalidation (खुदको को कमतर) आंकने के क्या नुक़सानात हैं?

What are the disadvantages of self invalidation

हम अपना बड़ा नुक़सान कर बैठते हैं! जब इस तरह के ख्यालात आते हैं, या हम खुदको invalidation (अमान्य) समझने लगते हैं! नीचे वह बातें हैं! जो आपको इससे होने वाले नुक़सान से अवगत कराएंगी!

  • खुदकी तरफ़ नज़र करें, अपनी बातों पर ध्यान दें
  • अपने आपको ज़्यादा उम्मीदों से दूर रखें!
  • जब ऐसा होता है तो देखें क्या चीज़ है, जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है!
  • अपने आप से खुदके बारे में सवाल करें!
  • यह देखें कि खुदको कमतर समझने की सोच आ कहाँ से रही है, किसकी वजह से ऐसा हो रहा है!
  • आपको खुदको दूसरों से बराबरी करनी बंद कर देनी चाहिए!
  • ऐसी वजह ढूंढें जिसकी वजह से आपके अंदर बेहतरी आ सकती हो!
  • खुदको दिमागी तौर पर सेहेतमंद बनाने की कोशिश करें!

खुदको कमतर समझने की वजहें?

  • Calm down:- खुदको शांत बनाकर रखने की कोशश करें!
  • Stop overreacting:- हर बात पर बोलना या जवाब देना ज़रूरी नहीं है!
  • आपको हमेशा परेशान रहने से बचना चाहिए! खुदको खुश रखने की वजह तलाशें बदलाव के लिए यह ज़रूरी है!
  • जब आप सोचते हैं कि मुझे इतना मुश्किल वक्त नहीं गुज़ारना चाहिए!
  • खुदको यह कहना कि कौन हूँ मैं! मैं जिस तरह हूँ यह मुझे कुबूल नही!

3. अपने तजुर्बे या जज़्बात पर शक करना कैसा है ?

What's it like to doubt your experience or emotions

खुदको को अयोग्सय ठहराना हमारी भावनाओं और अनुभवों की वैधता पर सवाल उठाता है:- आपको अच्छे से समझना चाहिए कि हर इंसान कोई न कोई खूबी लेकर पैदा हुआ है! एक बार को ज़रा सोचकर देखें क्या आप सिर्फ अकेले हैं? जिसे इस तरह के हालत का सामना है! नही बल्कि न जाने कितने लोग खुदकी वैल्यू को कमतर आंकते हैं!

हो सकता आपको लगता हो कि आपके जज़्बात की कोई अहमियत नहीं है! लेकिन ऐसा नही है! आपके जज़बात को अगर आपकी फॅमिली समझती है, आपकी माँ समझती है, भाई समझते हैं तो आपको दिल छोटा करने कि ज़रूरत नही है!

क्या आपको कभी मन में यह ख्याल आता हा कि आप कभी भी कुछ सही नहीं कर सकते, न कह सकते:- यह ख्याल सिर्फ तभी आ सकता है जब आपको पता हो कि आपने अभी वह हासिल नहीं किया है, जो आप चाहते हैं! या आपने कईं बार कोशिशें कि हैं पर कामयाबी हाथ नही लगी हो! इंसान के अंदर यह ख्याल आना खुदको नीचे गिराने के लिए काफी है!

जब आस-पास के लोग हमारी नाकामी देखते हैं तो वह हमारा मज़ाक उड़ाते हैं! फब्तियां कसते हैं! लोगों को लगता है कि नाकामी इंसान के काबिल न होने की पहचान है!

अगर उन्हें पता हो कि घरों में जलने वाला बल्ब 10 हज़ार बार की नाकामी के बाद बनकर तैयार हुआ था! आपकी नाकामी आखिरी कील नही कि आप कोशिशें करना बंद कर दें!

लगातार आलोचना का सामना! और खुदको पूरा नही समझना! तो इससे आप अपनी यौग्यता पर शक़ करने लगते हैं:- कोई आदमी कितना ही अच्छा हो, लोग उसकी बुराई करना और उसमें कमियां निकालना नही छोड़ सकते हैं! अब जबकि आप किसी से अपनी बुराई सुनते हैं तो आपको बड़ा बुरा लगता है! इससे होता यह है कि आपको लगने लगता है कि आपमें ही कुछ कमी है!

अपनी भावनाओं की अहमियत और तर्कहीन मानकर ख़ारिज करना?

जज़बाती भलाई के लिए Self-invalidation को क़ुबूल करना और उसका समाधान निकालना ज़रूरी है। अगर इन्सान के अंदर जज़्बात न होते तो दुनियां में बड़ी तबाही मचती सब एक दुसरे से लड़ रहे होते! जिन लोगों में जज़्बात कि समझ नहीं है, या वह इसे अहमियत नही देते वह आज यही तो कर रहे हैं!

जब आदमी अपने जज़्बातों में बह जाता है, और उसे अपनी कही बातों कि अहमियत कम लगने लगती है! तो फिर वह समाज की गलत सोच का शिकार हो जाता है! जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि आपको इन चीज़ों से सबक़ लेना चाहिए! किसी पर ध्यान न देकर सिर्फ अपने काम पर फोकस करना चाहिए!

आख़िर में !

चलते चलते बस यही कहना चाहूँगा कि खुदको कमतर बिलकुल न आंकें! किसी चीज़ में असफल होना आपकी नाकामी की दलील नही है! और न इससे आप पर नाकामी पर मोहर लग जाती है! इसका मतलब है कि आपको अभी सुधार कि ज़रूरत है!

खुदपर कभी शक न करें! आप एक बार ज़रा अपने चारों और नज़र करें, तब आप पाएंगे कि आप से ही कम दर्जे और कम पढ़े लिखे लोग या आपसे भी कम हुनरमंद लोग आज आपसे बेहतर कर रहे हैं! इसकी एक सिंपल सी वजह है!

उनका लगातार अपने काम पर जमे रहना! उनको रिजल्ट मिले या न मिले पर उनको अपना काम करते जाना है! कामयाबी का बस यही फार्मूला है कि consistency बनायें रखें! और नज़र-अंदाज़ करने का हुनर अपने अंदर पैदा करें! तब आप देखेंगे कि आपके अंदर बदलाव आने लगा है!

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