Unlocking Emotional Intelligence: जानें फैसला लेने में कैसे बनें माहिर 5 Steps में!😊

By Rao Anwar

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Emotional Intelligence और Decision Making Navigating Life's Crossroads

हर इंसान में Emotional intelligence की खूबी पायी जाती है, इसमें चीज़ों को पहचानना, समझना, और अपने खुदके और दूसरों के Emotions का इंतेज़ाम करना शामिल है। यह के ऐसी महारत है जो इंसान को ज़ाति तौर पर या बिज़नेस से जुड़े फैसलों में अहम रोल अदा करने की सलाहियत प्रदान करती है। इस आर्टिकल में हम आपके फैसलों पर इसका क्या असर पड़ता है, और इसमें निखार लाने के टिप्स के बारे में खुलकर बात करेंगे।

1. आत्म-जागरूकता में सुधार के लिए प्रैक्टिकल अभ्यास!

आत्म-जागरूकता में सुधार के लिए प्रैक्टिकल अभ्यास

Emotional Intelligence में ही एक चीज़ है Self-awareness! जिसका काम है, हमारे जज़्बात को ट्रिगर करना और हमारे बर्ताव के पैटर्न्स को समझना! यह emotional intelligence की जड़ है जो हमारे अंदर क्या चल रहा है उसे समझने कि छूट देता है!

Keep a journal to track your emotional responses:- जब से हमारे हाथ में स्मार्टफोन आया है बहुत सी चीज़ें करना बड़ा आसान हो गया है! क्यूंकि बात अगर कुछ लिखने की आये तो हम बिना पेंसिल के भी लिख सकते हैं! अपने फ़ोन का इस्तेमाल करके!

इसलिए इस बात का फ़ायदा आप अच्छे से उठा सकते हैं, अपने जज्बात को नोट्स में ज़रूर लिख लें! किसी बात को छोटी समझकर ignore न करें! इस तरह आपके पास काफ़ी कुछ होगा आगे सीखने के लिए! कि किस बात पर आपने कैसे react किया था! यह अगर ट्रैक में रहे तो आपके लिए बड़े फायदे का सौदा होगा!

Practice mindfulness to stay present and aware of your feelings:– अपने अंदर जागरूकता पैदा करें, और उन पैटर्न्स को ढूंढने की कोशिश करें, खास-तौर से अपने उन जज़्बातों की तरफ ध्यान दें जो आपके फैसलों में असर डालते हैं, या फैसले लेने से रोकते हैं।

2. खुदके लिए नियम बनाना (Self-regulation)

खुदके लिए नियम बनाना (Self-regulation)

माफ़ करना! मैं थोड़ा साफ़ शब्दों में कहना चाहूँगा, वह यह कि आपका अपना कोई तो रूल होना चाहिए! जिससे आपको अपनी हद, जज़्बात और बर्ताव को संभालने की ताक़त मिले। ख़ास-तौर से जब आप पर किसी बात को लेकर ज़्यादा दबाव हो।

Techniques for better self-regulation:- हमेशा ख़ुदको शांत रखने की कोशिश करें, तनाव की हालत में भी। कोई भी फैसला जल्दबाजी में न लें। बाद में पछतावा हो। अपने ज़हन में आने वाली बेकार और नेगेटिव सोच को positivity में ढालने की कोशिश जारी रखें।

जिस समय आप उकता जातर हैं, तो अपने लिए एक नया नियम खड़ा कर लेते हैं, यह काम हर वह इंसान आसानी से कर लेता है, जिसके पास Emotional intelligence को समझने की भरपूर सलाहियत मौजूद है।

मैं बात कर रहा हूँ, खुदके लिए एक ऐसे नियम की जिसमें आप अपने जज़्बात से खिलवाड़ नही होने देना चाहते हैं! जो कि आपके फैसलों को गलत दिशा में जाने से रोकता है! और आपके अंदर एक ठहराव पैदा करता है।

हौसला पैदा करना (Motivation)

कोई तो वक़्त होगा, जब आपने अंदर से ख़ुदको अकेला पाया होगा, या आप दबाव में होंगे किसी चीज़ को लेकर! तो मेरा आपसे सीधा सवाल है, क्या आपने कभी इस तरह की situation में खुदके लिए एक खुशी, या motivation की खोज की है।

अगर हाँ तो मुबारक़ हो sir यह Emotional intelligence ही तो है जो आपको मुश्किल हालात में इन सब चीज़ों से लड़ने और फैसला लेने की ताक़त देता है। खुदके जज़्बात के ड्राइवर को समझते हुए, लिए गए फ़ैसले लंबे समय तक आपके मक़्सद और values को बरक़रार रखते हैं। जिससे ज़्यादा इत्मिनान बख्श नतीजे बरामद होते हैं।

3. हमदर्दी जताना (Empathy)

हमदर्दी जताना (Empathy)

इसके अलावा हमदर्दी रखना इंसान की ज़बर्दस्त क़ाबिलियत है जिसकी बदौलत हम दूसरों के जज़्बात और नज़रिए को पढ़ लेते हैं। हमदर्दी रखने से हमारे किये गए फैसलों के असरात! और जो हम दूसरों के लिए करना पसन्द करते हैं, का पता चलता है। इससे हमें एक बेहतरीन समाजी आगाही को ध्यान में रखते हुए फैसले होते हैं।

Applying empathy in decision-making involves:- समाज में रहते हुए अपने लिए आप क्या चुनते हैं, दूसरों पर इसका असर ज़रूर देखने को मिलता है। बस आपको यह ध्यान देना है कि आपके खुदके लिए फैसलों से दूसरे क्या असर लेते हैं। मतलब कैसे यह दूसरों को प्रभावित करते हैं।

यही वजह है कि कुछ भी फैसला लेने से पहले हमें बड़ा ध्यान देना पड़ता है, लोगों के नज़रिए को समझना पड़ता है। बस आपका फैसला ऐसा न हो कि दूसरों को परेशानी में डाल दे। इस बात का बखूबी ध्यान रखा जाए। 😊

सामाजिक हुरनमन्दी (Social skills)

एक बात और कहना चाहूँगा! अपने अंदर बातचीत का हुनर पैदा करना कोई मुश्किल काम नही है। इसके लिए आपको बस प्रैक्टिस की ज़रूरत होती है, जो समय के साथ कोई भी अच्छे से समझ सकता है। इस skill में शामिल है कि आप अपनी बात रखने के अलावा दूसरों को सुनने की हिम्मत भी रखें। और जब आप समाज में होने वाले किसी भी झगड़े को निपटाने में माहिर हो जाते हैं, तो इसके बड़े अच्छे result हासिल होते हैं। खास तौर से तब, जब किसी ग्रुप का हिस्सा हों। यह खूबी समाज में आपकी अलग ही पहचान बना देती है।

4. फ़ैसले लेने में Emotional Intelligence का रोल!

फ़ैसले लेने में Emotional Intelligence का रोल

Balancing Emotions:- Emotional intelligence से हम अक़्ली बात रखने के साथ-साथ भावनाओं को भी परखते हैं। यह balance ज़रूरी भी है, इसके इर्द-गिर्द लिए गए फैसले लॉजिकल और जज़्बात को ध्यान में रखकर ही लिए जाते हैं।

क्या हो अगर आप अपने Emotions पर क़ाबू न रख सकें, और जल्दबाज़ी में फैसला करने लगें? तब तो समझो आपका EI किसी काम का नही रहा। उसमें ज़रूर कहीं न कहीं कमी रह गयी है, जो आपको दूर करनी ही पड़ेगी। आख़िर समाज मे रहने का सवाल है।

इसे एक मिसाल से समझते हैं:- फ़र्ज़ करें आपके पास 2 नोकरियों का ऑफर है। ज़ाहिर हैं 2 नोकिरियाँ आप एक साथ नही कर सकते हैं, क्योंकि उनमें से एक नोकरी आपकी जगह से काफ़ी दूर है। पर दूर वाली नोकरी में ज़्यादा पैसे हैं, जबकि वहाँ का माहौल अच्छा नही है।

और जो पास वाली नोकरी है, वह पैसे में तो कम है, पर आपको वहाँ एक अच्छा माहौल मिल रहा है, मिलनसार लोग हैं। तो आपकी Emotional intelligence आपको पास वाली नोकरी करने पर ज़्यादा ज़ोर देगा। इसी तरह आप इसका opposite करके भी देख सकते हैं, ताकि सही से समझ आ जाए। कि आखिर हमारे लिए EI का काम क्या है। इसकी मिसाल आप अपने आस-पास हो रहे, नुक़सान और फ़ायदों को देखकर भी लगा सकते हैं।

जैसे मैं आपको अपनी एक घटना बताता हूँ:-

एक बार मैं एक बुजरुग से मिला! मुझे इंसानों के जज़्बात और उनकी आदतों पर बात करना बड़ा पसंद है शुरू से ही! तो इस दौरान उन्होंने मुझे एक मिसाल ही ब्यान नही की, बल्कि करके ही बताया! उस बुज़ुर्ग ने एक तराजू लिया और दो कागज़ पर कुछ लिखा! उन्होंने एक वर्ड जो लिखा था वह था “लॉजिक” (अक्ल) और दूसरा “फीलिंग्स” (महसूस करना) !

उसने लॉजिक कि साइड वाले पलड़े पर एक चिड़िया का पर रखा! जिससे उसपर कुछ फ़र्क नही पड़ा! इसके बाद उसने फीलिंग वाली साइड एक पत्थर का टुकड़ा रख दिया, जिससे वह पलड़ा झुक गया! तब उन्होंने कहा कि “यह एक बैलेंस है! न तो यह पंख हल्का है और न यह पत्थर भारी है”

मैंने उनसे पुछा पर यह कैसे मुमकिन है? वह बुजरुग आदमी मुस्कुराया और बोला. सुनो जब अक्ल जीत कि हालत में होती है तो हम अपने दिल कि आवाज़ खो देते हैं! जब जज़्बात हावी हो जाते हैं तो अराजकता फैल जाती है! अगर आपको इन दोनों के बीच बैलेंस रखना है! तो दोनों को सम्मान कि नज़र से देखना होगा!

2. Intuition:- कभी-कभी हमें चीज़ों का मानो पहले से आभास हो जाता है ! वह कहावत आपने ज़रूर सुनी होगी “तू तो बड़ा अंतर्ज्ञानी निकला” इसका मतलब यह नही कि किसी ख़ास इंसान के पास छुपा इल्म है! नही बल्कि यह एक दूर-अंदेश आदमी कि पहचान है! मतलब चीज़ों का पहले से अंदाजा लगा लेना, कि क्या सही हो सकता है और क्या नही ! Emotionally intelligent होने पर हम अपने जज़्बात पर अच्छे से यक़ीन करने लगते हैं ! इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि उम्र कोई भी हो, या साफ़ शब्दों में कहूँ तो कितनी ही कम हो, लेकिन चीज़ों को परखने का नज़रिया किसी के पास भी हो सकता है!

पर फ़िर भी एक तजुर्बेकार इंसान की बात ही अलग है! क्यूंकि जिस आदमी का फैसला लेने का रिकॉर्ड पहले से अच्छा है, उसको ignore करके किसी नए बंदे पर यक़ीन करना कम अक़ली की दलील है! इसलिए अगर आपको खुदके लिए या दूसरों के लिए सोचने का मौक़ा मिले! तो अपनी बात पर गौर करने से पहले ज़रूर उस ऐसे शख्स कि मदद लें जो अपने जज़्बात को लॉजिक पर हावी न होने दे! देखिये आप खुद भी फैसला ले सकते हैं! पर जरा रुकिए तो सही !

क्या कभी ऐसा हुआ कि आपने जज़्बात कि रो में बहकर अपने किये किसी फैसले से शर्मिन्दा हुए हों! इसलिए जरा खुद-पर एक बार नज़र ज़रूर करें! कहीं आप फिर से ऐसी ही गलती तो दोहराने नहीं जा रहे हैं !

3. Empathetic Decisions:- हमदर्दाना फैसले ! इसका सीधा मतलब है! मान लीजिये आपको कोई फैसला लेना है किसी भी चीज़ के बारे में! तो सिर्फ खुद-से कोई भी फैसला लेना हो सकता है आपके लिए सही न हो! और ज़रूरी नही कि इसके बारे में आपको शुरू में ही पता चल जाए! इसलिए अपने आस-पास के लोगों को भी अपनी सलाह में शामिल करें!

लोगों से हमदर्दी रखें! जब हम लोगों कि सुहानुभूति को अपने फैसलों में शामिल करते हैं, तो यह सिर्फ़ हमारे लिए ही नही बल्कि दूसरे आपके आस-पास रहने वालों के लिए भी बड़ा फायदेमंद होता है !

  1. Put Yourself in Their Shoes: कल्पना करें, आप ऐसे लोगों के बीच हैं! जो आपके फैसले से प्रभावित होते हैं, जैसे कोई कस्टमर, कर्मचारी या अन्य! अच्छे से देखें कि उनके लिए क्या मायने रखता है!
  2. Seek Direct Experience: तजुर्बेकार लोगों के बीच जाएँ , जो अपनी भावनाएं साझा कर सकें! उनकी बात सुनें!
  3. The Outsider’s Role: अगर आप किसी ग्रुप में हैं तो किसी से कहें कि वह बाहरी शख्स का किरदार अदा करे! इससे यह मेसेज जाता है कि हर किसी को प्रभावित लोगों की ज़रूरतों के बारे में सुनने कि ज़रूरत है

आईये इसे एक छोटी और सिंपल सी स्टोरी के माध्यम से समझते हैं!

अंतर्ज्ञानी लड़की

चारों ओर पहाड़ियों वाले एक छोटे से शहर में, एलिजा नाम की एक लड़की रहती थी जिसे पौधों से प्यार था। उसका बगीचा सुंदर था, जिसमें बहुत सारे रंग-बिरंगे फूल और हरे पौधे थे। लोगों को वहां जाना और यह देखना अच्छा लगता कि यह कितना खूबसूरत था।

एक दिन, शहर के एक नेता ने एलिज़ा से शहर के बीच हिस्से को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए कहा। यह ठीक था, लेकिन बहुत खास नहीं. एलिजा को इसे अच्छा दिखाने या काम में आने वाला बनाने के बारे में सोचना था।

एलिज़ा बहुत सोचते हुए अपने बगीचे में चली गई। उसने अपने फूलों को देखा और सोचा कि शहर के बीच में लोग क्या चाहते होंगे।

उसने शहर के लोगों से पूछने का फैसला किया कि वे क्या चाहते हैं। एक बूढ़ी औरत ने कहा कि वह बैठने और आराम करने के लिए जगह चाहती है। बच्चे गर्मी होने पर खेलने के लिए एक फव्वारा चाहते थे। एक फूल बेचने वाला लोगों को खुश करने के लिए ख़ूबसूरत फूल चाहता था।

एलिज़ा ने सबकी बात सुनी और एक तरकीब बनाई। उसने इसे शहर के नेता को दिखाया। योजना में सीटें, एक फव्वारा और बहुत सारे फूल थे। सभी को यह बहुत पसंद आया।

जैसे-जैसे शहर का केंद्र बदला, एलिज़ा को एहसास हुआ कि लोगों की बातें सुनने और उनकी सलाह लेने से उसे सबसे अच्छा विकल्प चुनने में बड़ी मदद मिली। उसने सिर्फ फूल ही नहीं लगाए; उसने लोगों को यह महसूस कराया कि वह अब समझदार गई है। सभी को खुश देखकर एलिजा को अपने फैसले के बारे में अच्छा महसूस हुआ।

5. Emotional intelligence के फैसलों को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रैक्टिकल टिप्स

  • Self-awareness बढ़ाने के लिए आप दिमागी कसरत अपना सकते हैं!
  • जज़्बात की लहर में बहकर जबर्दस्त react करने से पहले थोड़ी रुककर सोच लें!
  • रोज़ाना Mindfulness के अभ्यास से आप पहले से अधिक आपनी और दूसरों की भावनाओं के प्रति जागरूक बन सकते हैं!

पिछले लिए गए फैसलों पर गौर करना!

  • अपनी कामयाब और नकाम choice से सीखने कि कोशिश करें!
  • इस बात का अच्छे से जायज़ा लें कि किस तरह के फैसलों ने आपके जज़्बात पर असर किया! और आप किस तरह से इसे और बेहतर कर सकते हैं!

जो गलतियाँ आपसे अब से पहले हो चुकी हैं, आप अपने जज़्बात के उन पैटर्न्स को पहचान सकते हैं, जो या तो bias थे! या आपके फायदे के लिए! इस तरह आप आगे सही फैसलों और अच्छी choice का इंतेखाब करना पसंद करेंगे!

लोगों की राय माँगना

  • अपने दोस्तों, या किसी भी सीनियर आदमी से मिलें और उनके अब तक किये फैसलों के बारे में जानने कि कोशिश करें !
  • यह समझने कि ज़रूर कोशिश करें कि दूसरे लोग आपके फैसलों और जज़बाती जवाबात को कैसे देखते हैं!

आपके आस-पास के लोगों से मिलने वाली insights आपके Emotional intelligence में लिए जाने वाले फैसलों में अहम रोल अदा कर सकते हैं! जिन्हें आप ख़ुद नही देख सकते हैं!

आख़िर में !

Emotional intelligence जज़्बात को समझने के बारे में नही हैं; यह जिंदगी की मुश्किलात से निपटने और उनका अक्लमंदी से इस्तेमाल करने के बारे है! तो दोस्तों! इस तरह आप खुदका Emotional intelligenceपैदा करके, ज़्यादा तजुर्बेकार और ऐसे फैसले ले सकते हैं जो सीधा आपकी जिंदगी और आस-पास रहने वालों लोगों पर एक जबर्दस्त छाप छोड़ने में बड़ा योगदान दे सकते हैं!

एक बात पर आपको ध्यान देना है कि अपनी भावनाओं को मानना अच्छी बात है, यह हर इन्सान में है ! जिंदगी के किसी भी मोड़ पर इसका सही रास्ता दिखाने के तौर पर इस्तेमाल करें! जैसे-जैसे आप अपनी Emotional intelligence को आज़माना जारी रखेंगे, आप खुदके अंदर ज़्यादा यक़ीन, मेहरबानी और साफ़ सुथरे फैसले लेते हुए पाएंगे!

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