इंसान की फितरत ही ऐसी है, जाने-अनजाने में न चाहते हुए भी हमसे गलतियाँ हो ही जातीं हैं। जिस समय हम किसी अपने को चोट पहुंचाते हैं, तो बाद में बड़ा Guilty Feel होता है। एक सवाल बार-बार हमें परेशान करता है कि खुदको Forgive यानी माफ़ कैसे करें? और जब हमें पता चलता है कि बहुत छोटी बात थी, जिसकी वजह से हमने किसी अपने को ठेस पहुंचाई है।
वैसे मेरे पास यह कहने के अलावा कुछ नही कि जिस समय आप पछता रहे होते हैं, तो जान लीजिए आपने अब ख़ुदको Crrect कर लिया है! और आगे से ऐसा न करने का प्रण लिया है।
और अगर तब भी आप सन्तुष्ट नही हैं, इसको लेकर असमंजस में हैं, तो हम इस आर्टिकल में इससे जुड़े हर सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे।
Contents
1. अपने किये पर शर्मिंदा होना!
सबसे पहले तो यह मान लें, कि आपसे ही गलती हुई है! अगर आप ज़िद पर अड़े हैं कि ‘मेरी गलती कम है दूसरे की ज़्यादा‘ तो आप कभी भी ख़ुदको संतुष्टि नही दे सकते हैं। जबकि आपका मक़्सद ही इस बात का पता चलाना है कि कैसे आप ख़ुदको इत्मिनान दें! कि आपसे अनजाने में गलती हुई है! और उसको भूलकर आगे कैसे बढ़ना है।
यह तभी मुमकिन है जब आपको यक़ीन हो कि आपने किसी अपने का दिल दुखाया है! और आप ख़ुदको माफ़ करना चाहता हैं!
आपको यह याद रखना चाहिए कि हर कोई गलती करता है, यह कोई ऐसी चीज़ नही कि बड़ी अजीब बात हो! किसी को न चाहते हुए चोट पहुंचाना भी इंसानी फितरत में शामिल है। यह हमारी ज़िदंगी का हिसा है।
पर हम अपनी इस परेशानी को तब और बढ़ा देते हैं, जब अपनी गलती नही मानते! या हमे लगता तो है कि हमने गलत किया है पर तब भी हम गलती मानते हुए शर्माते हैं। खासकर अगर मैं यहॉं इंडिया की बात करूँ तो लोग खुलकर कभी अपनी गलती नही मानते! जैसे किसी को “sorry” कहना हो, वगैरह!
ऐसा लोग मन ही मन परेशान रहते हैं, कि उन्होंने किसी के साथ कुछ गलत कर दिया, या गलत कह दिया! पर फिर भी ऐसे लोग सिर्फ एक ‘सॉरी’ कहते हुए शर्माते हैं, या उनको डर है कि कहीं माफ़ी मांगकर उनका सर शर्म से इन झुक जाए। आप ही बताएँ क्या ऐसे लोगों की लिस्ट में आप ख़ुदको रखना चाहेंगे। आपका जवाब मुझे पता है ‘ना’ है।
2. Forgiveness में Self-Compassion का रोल!
आपकी बैचैनी बढ़ रही हो, तब आप खुदपर रहम करें, और खुदसे अलग किसी ऐसे दोस्त के बारे में सोचें जिसने आपकी तरह की गलती की हो! और आपको उसे तसल्ली देनी हो तो कैसे देंगे? यह वह चीज़ है जो आपको खुद-बखुद समझ आ जायेगी।
आपने कभी तो सुना ही होगा कि इंसान फ़रिश्ता नही है! कि उस गलती न हो। दुनियाँ में कोई भी perfect नही है। सबमें कुछ न कुछ कमियाँ हैं। और माफ़ी आपके अंदर भरे जज़्बात से निकलती है। और जिस समय आप ख़ुदको अंदर से कोस रहे होते हैं! यही वह वक़्त होता है जब आप अपनी करनी के लिए शर्मिंदा हैं। इसे ही तो ‘Self-compassion’ कहते हैं जनाब!
Reflect on Intentions: एक बात तो है हम में से अक्सर कोई भी, जिस समय किसी को परेशानी पहुंचा रहे होते हैं! तो अक्सर हमारा किसी को चोट पहुंचाना मक़्सद नही होता है। लेकिन फिर भी अपने इरादों पर ज़रूर नज़र करें! क्या वाक़ई आपने ज़्यादती की है, या फिर ऐसा बिना किसी intentions के हुआ है।
इसे दूसरे शब्दों में कहें तो, तो आप अपना सबसे बेस्ट देना चाहते थे, और मामले को अच्छे से हैंडल करना चाहते थे। पर हुआ आपके Expectation से बिल्कुल उलट!😊आपने जो भी इरादा किया हो, नतीजे हमेशा उसके उलट होते हैं।
Empathize with the Other Person:– हमदर्दी जताने का यह भी एक तरीक़ा हो सकता है कि ख़ुदको उनकी जगह पर रखकर देखें, उनके दर्द और निराशा को समझने की कोशिश करनी चाहिए! याद रहे! अगर आप ऐसा नही करते हैं, तो पछतावा करने का कोई फ़ायदा नही! क्योंकि तब आप अपनी गलती को लेकर सहमत नही माने जाएंगे।
ईमानदारी का तक़ाज़ा यही है, कि आप सोचें कि आपकी एक गलती से किसी के दिल को कितनी चोट पहुँची है। जब ऐसा करेंगे तो आप ज़रूर ख़ुदको तसल्ली दे सकते हैं, कि कम से कम आप एक क़दम आगे बढ़ चुके हैं। यह हमदर्दी ही है जिसकी बदौलत आप उनके तजुर्बे और माफ़ करने के कदम की और आगे बढ़ जाते हैं।
Learn and Grow:– सिर्फ हमदर्दी जताने, माफ़ी मांगने, या पछतावा करने से बात ख़त्म नही हो जाती है! हमें गहरायी से यह समझने की ज़रूरत है कि हमारा वह किस तरह का बर्ताव था जिसकी वजह से बात बिगड़ी! और हम क़ाबू से बाहर हो गए।
यह पता करने की वजह साफ है, आगे से आपको इरादा करना होगा कि ऐसा फिर से न हो। यह बहुत बड़ी बात है कि हम अपनी गलतियों से सीखते हैं, खुदकी Personal Growth में इसका फ़ायदा लेते हैं, और बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।
3. हक़ीकत में कैसे नज़र-अंदाज़ करें, और जाने दें !
वह समय जब भुला देने, और जाने देने की बात आती है! बड़ा मुश्किल होता है यह फैसला लेना! पर बेहतर सोच के लिए, बेहतर कल के लिए आपको कुछ चीजों को भुलाकर आगे बढ़ जाना ही बेहतर होता है। आख़िर यह इंसानियत से रिश्तों का सवाल है।
हमें सबसे पहले यह बात जरूर ध्यान रखनी चाहिए कि बुरा, लगना, नाराज़ होना एक नार्मल बात है! उस समय जब हमें इनमें से किसी चीज़ का सामना होता है, तो उस फीलिंग्स को आप तुरन्त दूर नही कर सकते हैं! उन अहसासात का तजुर्बा ख़ुदको होने दें। ताकि आप ख़ुदको आगे के लिए prepare कर सकें, कि ऐसा फिर से न होने पाए! या हो भी तो आपमें बर्दाश्त की ताक़त बाक़ी रहे।
जो भी हो चुका है उसे बदला नही जा सकता है। इंसान बड़ा कमज़ोर है, अपने जज़्बात पर कंट्रोल करने की कोशिश कम ही करता है। हम पिछले हो चुके events का बार-बार ज़िक्र करके सिर्फ़ ख़ुदको तक़लीफ़ देते हैं। जबकि क्लियर बात यह है कि इससे कुछ हासिल नही होगा, सिर्फ़ ख़ुदको परेशान करना और टाइम waste है। अपने आज पर तवज्जोह दें।
हर कोई गलती करता है, इसमें आप भी शामिल हैं। हो सकता है कभी कोई आपको तक़लीफ़ दे, तो उसके साथ आप नरम दिली की भावना रखकर देखें! क्योंकि हो सकता है, आपके साथ किया गया बर्ताव उसके माहौल से प्रेरित हो। जिसमें उसका खुदका तजुर्बा शामिल हो सकता है, या दूसरों को देखकर वह ऐसा करता है। इसलिए जरूरी नही कि हर इंसान को एक अच्छा और शिक्षित माहौल मिले।
Shift Your Perspective:- गलतियों पर पर्दा डालना आपके लिए गिफ्ट है दुसरे के लिए नही, यह करके आप खुदको नेगेटिव खयालों से आज़ाद कर लेते हैं! ऐसा करना दुसरे को नज़र अंदाज़ करना नही है बल्कि यह खुदको सुकून पहुंचाने के बारे में है.
Set Boundaries: किसी को माफ़ कर देना, या भूल जाना नही है कि किसी को फिर से वही गलत बर्ताव करने कि छूट मिल जाए! इसलिए आपको लिमिट सेट करनी चाहिए खुदको और ज़्यादा नुक़सान से बचाने के लिए !
Release the Need for Revenge: आपको क्या लगता है कि बदला लेने से सब ठीक हो जाएगा! बिलकुल ऐसा नही होने वाला है, इससे आप अपने दुःख में मज़ीद इज़ाफा करते हैं!
4. माफ़ी मांगे और सुधार करें !
भले ही आपको उनसे कुछ फ़ायदा हासिल करना हो, और यह माफ़ी महज़ दिखावा हो, पर जहाँ तक हो सके ईमानदारी से माफ़ी मांगे! कम से कम ऐसा दिखाने की कोशिश तो करें। और ऐसा दिखाएँ मानो आप इसके लिए बड़े शर्मिंदा हैं! अपने बर्ताव से ऐसा दिखाएँ कि आपका इरादा रिश्तों में सुधार लाने का है! और आप आगे बढ़ना चाहते हैं . बेहतर है कि आप खुद में बेहतरी लाने की कोशिश जारी रखें .
Practice Self-Forgiveness:
मैं आपको इसे यादगार बनाने का एक फार्मूला बताना चाहूँगा! जब भी आप कभी अंदर ही अंदर घुट रहे हों, और खुदको कोस रहे हों, तो अपनी उन फीलिंग्स को ज़रूर लिख लें किसी नोटबुक में या अपने स्मार्टफोन की नोट्स में! ऐसा करने से आप देखेंगे कि धीरे-धीरे आपके जज़्बात उभरकर सामने आ रहे हैं! और मन ही मन आपके एक सुकून का अहसास होने के साथ-साथ यह सोच जन्म ले रही होगी कि आगे से आप किसी के साथ ऐसा बिलकुल नही करना चाहेंगे!
इन्सान कि फ़ितरत ही ऐसी है, कि जब हम खुदको बेचारा महसूस करते हैं तो यह गलतफ़हमी होने कि गुंजाईश रहती है कि अब हम सुधर चुके हैं, मुझे हैरानी होती है कि माफ़ी मांगने या अपनी गलती मानने के तुरंत बाद कैसे कोई इसे सुधार मान सकता है !
जबकि यह सिर्फ एक अम्ल है, किसी अपने या गैर को उसकी मौजूदगी और आपके दिल में उसकी जो इज्ज़त है उसको दिखाने का! जो कि खुदकी बैचैनी दूर करने की मात्र एक कोशिश ही तो होती है . क्या आप सोच सकते हैं कि आपके माफ़ी मांगने के बाद भी आपकी गलतियों के बारे में बातें होंगी! हो सकता है ऐसा आपके आस-पास के लोग करेंगे या फिर वह जिससे आपने माफ़ी मांगी है .
5. अगर ज़रुरत पड़े तो किसी Professional कि मदद लें !
अब तक हम माफ़ी तक ही थे, पर उस कंडीशन का क्या जब आप खुदको माफ़ न कर पा रहे हों! मेरे ख्याल में तब आपको इलाज कि ज़रुरत होगी! क्यूंकि किसी चीज़ या जुर्म को लेकर हम अगर ज्यादा सीरियस हो जाएँ तो यह हमारी सेहत के लिए बिलकुल भी सही नही है! न तो फिजिकल सेहत के लिए और न मेंटल हेल्थ के लिए! मैं आपका डाउट क्लियर करते चलूँ कि हमें इस पूरे आर्टिकल में छोटे जुर्म पर बात की है
. और इन छोटे जुर्म के लिए इससे बड़ी कोई सजा नही कि इंसान अपनी गलती मानकर आगे बढ़ जाए! क्यूंकि बड़े जुर्म कि सजा देने के काम क़ानून का है! उसके लिए हमारे ज़हन ज़रा भी रहम-दिली नही होनी चाहिए जबकि वह जुर्म जानबूझकर किया गया हो!
हाँ unexpected सिचुएशन में किसी से बड़ा जुर्म भी हो सकता है, और मुझे लगता है कि इसको समझाने के लिए आपको एक मिसाल देना ही काफी होगा! फर्ज़ कीजिये कोई इन्सान रोड पर bike से जा रहा है और उसके सामने अचानक से कोई इन्सान ही आ जाए और वह ज़ख्मी हो जाए! मुमकिन यह है कि उसकी bike एक एवरेज स्पीड पर थी!
न उसने शराब पी थी और न उसका ध्यान कहीं दूसरी जगह था, बस bike के सामने आने वाला इंसान ही आचानक से उसके सामने आया जिसकी वजह से यह हादसा हुआ! तो इसे दूसरे लोग जुर्म तो समझेंगे पर सिर्फ आप दोनों को यह पता होगा कि गलती किसकी थी , या फिर वह जिसने ऐसा होते हुए देखा हो .
या इसके उल्ट यह कि सब कुछ ठीक था, पर आप डर गए और वहां से भाग निकले, खुदको बचाने के लिए! तब आपने दूसरों को मौक़ा दे दिया खुद पर इलज़ाम लगाने और पक्का मुजरिम साबित करने का! मुमकिन है कि इस तरह के केस में आपसी सहमती से सब शांत हो जाए, पर ऐसा न होने पर सज़ा की गुंजाईश इसमें बनी रहती है .
ऊपर कि सिचुएशन से खुदको compare करें और देखें कि क्या आप वही bike वाले हैं जिसके साथ ऐसा हुआ कि एक गलती न चाहते हुए भी हो गयी . इस हालत में आपको खुदको कोसना बंद कर देना चाहिए! जबकि माफ़ी वगैरह का अम्ल हो चुका है. इसमें मैं आपको सिर्फ यही सलाह दूंगा कि इस आर्टिकल कि ज़रूरी टिप्स को अपनाएं!
आख़िर में !
Note:- अगर आपको तब भी सुकून न मिल रहा हो तो किसी अपने साथी या किसी ऐसे ग्यानी से अपने किये का ज़िक्र जरूर करें! यक़ीन मानिये आपको इससे बड़ी मदद मिलेगी!
याद रखें, खुदको माफ़ करना खुदा कि तरफ़ से एक गिफ्ट है जो आप खुदको देते हैं! यह आपके आने वाले फ्यूचर को खत्म करना नहीं है, बल्कि यह आपको हमदर्दी और तरक्की के साथ आगे बढ़ने के रास्ते खोल देता है! अच्छा तो चलता हूँ मिलेंगे किसी और बेहतरीन बात को करते हुए किसी और लाजवाब आर्टिकल में!