क्या लचीलापन (Resilience) और मानसिक शक्ति (Strength) एक ही हैं? जानिये 2 Steps में!

By Rao Anwar

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Resilience vs Strength – Explained in 2 Steps

1. Introduction

Resilience एक वो चीज़ है जिससे जाने या अनजाने में आपका सामना ज़रूर होता है! कैसे? यह मैं आपको बड़ी गहराई से समझाने वाला हूँ। हाँ ऐसा हो सकता है, या यह मुमकिन है कि आपको दूसरों के मुक़ाबले ज़्यादा या कम सामना करना पड़े! इस Subject पर गहरायी से बात करना ज़रूरी है, इसकी वजह यह है कि किसी चीज़ को समझें बिना हम खुदके ही ख्यालात बना लेते हैं, और अंदर ही अंदर ख़ुदको De-Motivate करते रहते हैं।

लचीलापन (resilience)

जितनी जल्दी आप यह समझेंगे कि यह हमारी ज़िंदगी का हिस्सा है उतना ही आपको इससे फायदा होगा! इसकी बड़ी वजह यह है कि अक्सर जिन चीज़ों को हम Serious ले रहे होते हैं, या उनपर हमारा ज़्यादा focus होता है! उनमें अक्सर बातें Resilience से जुड़ी होती हैं। यह एक लचक की तरह है, यह ऐसा है जैसे इसे कोई छेड़ दे, और कुछ समय के लिए इसकी हालात बदल जाए, मतलब इसके रास्ते मे कोई रोडा अटका दे, पर पलटकर फिर यह उसी हालत में आ जाए। जैसे एक रबड़ हो खिंचने वाली।

यह तो एक निर्जीव चीज़ हुई, क्योंकि यह पलटकर ख़ुदको छेड़ने वाले या रोड़ा अटकाने वाले को जवाब नही दे सकती है। पर इंसान में यह काबिलियत है कि पलटकर जवाब दे सके! बस यही पर आपको फैसला करना पड़ेगा कि किस बात के लिए जवाब दिया जा सकता है, और किस बात को नज़र-अंदाज़ करके आगे बढ़ जाना है! हो सकता है आपका Resilience वाली situation से पाला पड़ा हो! इसी को समझने के लिए हम यहाँ हैं!

Resilience कोई Hard Position कि इसका जवाब देना जरूरी हो, और अगर ऐसा हो तो समझो या तो Resilience वाली situation को बर्दाश्त नही किया गया हैं, या फिर वो हालत Resilience वाली थी ही नही, वो तो कुछ और ही था! जिसका सामना होने के बाद आपको बे-इज्ज़ती महसूस हुई हो, और बुरा लगा हो! खैर! आज हम इसी को Clear करने और इसमें फ़र्क करने के लिए यहाँ हैं!

A. Resilience क्या है?

Resilience ऐसा है जैसे आपके साथ कुछ बुरा हो गया हो? जैसे किसी टेस्ट में फ़ैल होकर फिर से कोशिश करना! या रास्ते में चलते हुए ठोकर खाकर गिर जाना और फिर से उठ खड़े होना! जब भी आप कोई चीज़ हासिल करते हैं, या करना चाहते हैं! और जो चीज़ें आपके रास्ते में आती हैं उनको नज़र अंदाज़ करके आगे बढ़ते हैं यही तो Resilience है!

B. क्या है मज़बूती (Strenght)?

सबसे आसान definition:- “हार न मानना” जब चीज़ें मुश्किल लगने लगें! इसे ऐसे समझते हैं मानो आप खुदको एक Parent की जगह पर रखकर देखें! “आपने आराम त्याग दिया है, किस लिए? ताकि आप अपने बच्चों की जरूरत पूरी कर सकें! यह ऐसा है जैसे आपने खुदको उस चीज़ में ढाल लिया है! और हार न मानने का फैसला किया! जैसे लगातार दर्द रहते हुए भी आपने अपनी Race को पूरा कर लिया हो।

C. Main मुद्दा यह है!

आपके साथ जो भी हो रहा है, या आपके रास्ते में जो भी अटकन है, उन सबको पीछे छोड़ते हुए जिस मज़बूती से आप ख़ुदको सम्भालते हैं,अपना काम जारी रखते पाते हैं, ख़ुदको heal करते हैं, और फिर से कोशिश में लग जाते हैं। आपका यह सब अमल में लाना Resilience को काफ़ी मज़बूती से प्रस्तुत करता है।

2. ये दोनों एक दुसरे से अलग कैसे हैं?

Strength = मज़बूती से पकड़कर रखना

A. Strength = मज़बूती से पकड़कर रखना

आसान Comparison से समझें इसमें 2 चीज़ों अहमियत है, एक है मज़बूती से थामे रखना, हाथ से छूटने न पाए! यह ऐसा है जो दबाव पड़ने पर भी टूटने न पाए। resilience और strength एक जैसे भले ही न हो, पर यह दुसरे से जुड़े हैं!

B. Resilience = पलटकर वापस लौटना

जैसा कि ऊपर बयान कर चुका हूँ, Resilience एक Rubber Band की तरह है जो खिंचता है, और फिर से उसी हालत में लौट आता है।

C. Strength is Tough, Resilience is Flexible

  • Strength: “मैं बिल्कुल हार नही मानूँगा!”
  • Resilience: ” मैं गिरूँगा, पर फिर से वापसी करूँगा”

यह भी पढ़ें:- The Greatness Paradox: आपका जुनून कैसे बनाता है आपको Great! जानिए 2 Step में!

3. ये एक दुसरे के साथ काम कैसे करते हैं, और ये दोनों ज़रूरी क्यों हैं?

Strength Helps You Fight

A. Strength Helps You Fight

Example: खुदकी मज़बूती आपको किसी हादसे से उभरने में मदद करती है, जैसे राह में चलते हैं, आपके पैर में कांटे का चुभ जाना। या किसी का आप पर ताने मारना, परेशान करना।

B. Resilience आपके दर्द को कम करता है

Example: इस सबके बाद हम खुदके घाव भर पाते हैं, क्योंकि इसमें Resilience की सिफ़्त हमारे अंदर मौजूद है! यह उसी का असर है। मुबारक़ हो यह खूबी आपके अंदर पहले से मौजदू है, क्या फ़र्क़ पड़ता है अगर आपको इसका अभी पता चला हो।

C. बेहतरीन Combo: Strong + Resilient

जब यह दोनों चीज़ें मिल जाती हैं, तो अगली बार आप और कड़ी मेहनत करते हैं! खुदको मजबूत बनाकर रखना, यह आपके अंदर कि ताक़त से ही बाहर आता है!

4. इसको लेकर लोगों के गलत ख़यालात!

सिर्फ़ Resilient(लचीले) लोग ही मज़बूत होते हैं

A. Myth: सिर्फ़ Resilient(लचीले) लोग ही मज़बूत होते हैं?

सच: यह कहना बिलकुल गलत है कि सिर्फ़ सख्त और ज़्यादा मज़बूत आदमी ही Resilient होते हैं, जबकि ऐसा कुछ नही होता! मैं समझता हूँ सामने से नरम बर्ताव में नज़र आने वाला आदमी और भी बड़ा Resilient होता है! इसकी वजह यह कि ऐसा आदमी हर किसी को सीरियस नही लेता, और अगर गिर पड़े तो उठ भी खड़ा होता है. भले ही वो फिर एग्जाम में फ़ैल हुआ हो! या फिर उसको परेशान किया गया हो!

B. Myth: Resilience का मतलब है कभी न रोना?

रोना हर इंसान कि फितरत है! इंसान का रोना इस बात का सुबूत नही कि वो Resilience की केटेगरी से बाहर है! ऐसा बलकुल नही कि ऐसा आदमी नही रो सकता है! Resilience का असल मतलब है फिर से कोशिश करना!

C. Myth: आप इन दोनों चीज़ों के साथ पैदा होते हैं!

सच: ऐसा कुछ नही है! कोई क्या लेकर अपने साथ आता है! पर यह सच है कि अगर कोई सीखने की कोशिश करता है तो सीख जाता है! ऐसे ही यह भी एक जानकारी है! जिसे सीखा जाता है! हम जो भी करते हैं अक्सर उसमें हमारे Culture का बड़ा role होता है!

Conclusion

Strength = Not breaking. मजबूती यह तय करती है कि हम अपने कदमों को फिसलने न दें! पर क्या हो जब आपके सामने पूरा रास्ता ही फिसलन वाला हो तो! ऐसी सूरत में भी कोशिश जारी रखें कि पैर साबित क़दम रहें आपके!

Resilience = Recovering after you break. और जब आप टूट जाते हैं, तो आप लौटकर आते हैं, जैसे एक मजबूत योधा होता है, जंग में!

You need both to handle life’s challenges. हमें इन दोनों की ज़रूरत है, क्यूंकि मेरे दोस्त! यह जिंदगी बड़ी उलझनों से भरी पड़ी है! क्या पता कब जरूरत पड़े! खासकर आपके Struggle के दिनों में!

क्यूँ न नज़रंदाज़ करके आगे बढ़ा जाए! और एक जबर्दस्त बाउंस बेक किया जाए! आप कमेंट में कुछ अपने बारे में भी बताएं या सवाल रखें! हर कमेंट का जवाब दिया जाएगा!

शुक्रिया! 

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